Mumbai BMC Demolishes 90 Year Old Jain Temple Outrage Erupts Maharashtra Assembly

मुंबई के विले पार्ले में 90 साल पुराने दिगंबर जैन मंदिर को बीएमसी ने तोड़ दिया. बीएमसी की इस कार्रवाई के बाद से ही जैन समाज में गुस्सा है. देशभर में जैन समाज के लोग बीएमसी की इस कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है. इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. फिलहाल सरकार की तरफ से इस मामले पर कोई बयान सामने नहीं आया है, जबकि जैन समाज से कई विधायक सरकार में शामिल हैं.

महाराष्ट्र में 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में जैन समाज के 7 विधायक चुनकर आए थे. उस समय इन विधायकों का पूरे समाज ने स्वागत और सम्मान किया था. तीन विधायक मुंबई महानगर क्षेत्र से हैं, जिनमें मालाबार हिल से मंगल प्रभात लोढ़ा, घाटकोपर पूर्व से पराग शाह और मीरा भयंदर से नरेंद्र मेहता चुने गए थे. इन 7 विधायकों में से 6 विधायक बीजेपी से तो वहीं एक निर्दलीय चुनकर आया था. इन विधायकों में से प्रभात लोढ़ा खुलकर इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं.

महाराष्ट्र में जैन समुदाय की जनसंख्या की बात की जाए तो यहां पिछली जनगणना (2011) में आबादी 1.25% थी. विधानसभा में चुने गए सदस्यों में जैन समुदाय का हिस्सा 2.4 प्रतिशत है, जो कि आबादी के अनुपात का दोगुना है. साल 2014 में महाराष्ट्र में 9 जैन विधायक चुनकर आए थे. बीएमसी की इस कार्रवाई ने बीजेपी विधायकों को अपनी सरकार के खिलाफ विरोध करने को मजबूर कर दिया है.

बीएमसी ने मंदिर तोड़ने के पीछे का दिया ये तर्क

बीएमसी की इस मंदिर को गिराया गया है वह विले पार्ले में दशकों पहले बनाया गया था. इसके साथ ही जैन समुदाय में आस्था का प्रमुख केंद्र भी है. बीएमसी ने इस कार्रवाई के पीछे तर्क दिया कि मंदिर का कुछ हिस्सा पहले से आवंटित जमीन पर बनाया गया था, जो किसी दूसरे प्रोजेक्ट का हिस्सा है. यही कारण है कि पहले नोटिस जारी किया गया था. बीएमसी ने बताया कि हाल ही में सिटी कोर्ट की तरफ से इस मंदिर की याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके बाद ही ये कार्रवाई की गई है.

टूटे मंदिर में ही की समाज ने पूजा

बीएमसी की कार्रवाई के बाद मंदिर में भगवान खुले में हैं. जैन समाज ने अपना विरोध शुरू करने के पहले यहां पूजा अर्चना की. इसके साथ एक संदेश दिया कि अहिंसा ही एकमात्र रास्ता है. इस विरोध प्रदर्शन से पहले जैन बंधुओं ने उस मंदिर में आरती की, जहां यह कार्रवाई की गई थी. मंदिर ट्रस्ट और जैन समुदाय ने बीएमसी की इस कार्रवाई को जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया है.

जैन समाज के नेताओं ने बीएमसी पर पक्षपात का आरोप लगाया है, इसके अलावा उन्होंने कहा कि ये कार्रवाई पैसे लेकर की गई है. इस कार्रवाई के दौरान जैन धर्म की धार्मिक पुस्तकें और धार्मिक वस्तुओं को सड़क पर फेंकने का आरोप नगर निगम कर्मचारियों पर लगाया गया. समाज की यह भी मांग है कि जिस स्थान पर मंदिर था, उसे वहीं फिर से स्थापित किया जाए.

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